आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

All entries by this author

City: Sumana Roy

कथेतर / Non-Fiction

A fool doesn’t like being called a fool. A mad man will call you mad if you call him mad. A villager will think you are insulting him if you call him a villager. A dog, a pig, or a donkey – surely they wouldn’t like being cursed by those names either? But call the […]



पाठक, प्रतिपाठक और पुस्तक की मुक्ति: मदन सोनी

कथेतर / Non-Fiction

……जुबली सास्त्र नृपति बस नाहीं – गोस्वामी तुलसीदास …… हर पवित्र वस्तु जो अपनी पवित्रता बनाये रखना चाहती है, रहस्य में डूबी रहती है – स्टीफन मलार्मे अम्बर्टी इको (समकालीन इतालवी आलोचक, दार्शनिक)का उपन्यास द नेम ऑव्‌ द रोज उपन्यास नहीं है। आधुनिक युग में अनेक ऐसे उपन्यास लिखे गये हैं जिनको लेकर ”उपन्यास न […]



Bombay: J. Sanjana

कथेतर / Non-Fiction

1. I wake up suddenly, as if after a long nightmare or dream. I cannot remember a thing. It is 5:30 in the morning and Bombay has just been through two days of furious rain. It is still raining, but gently now, like a balm to soothe the damage done. I fall out of bed […]



अंग्रेज चले गए रोड छोड़ गए उर्फ रिक्शे पर सवार जी. बी. रोड: प्रभात रंजन

कथेतर / Non-Fiction

गार्सटिन बैसन रोड – अंग्रेज कलेक्टर के नाम रखी इस सड़क की ख्याति जी. बी. रोड के नाम से अधिक है। लाल किला, कुतुबमीनार, जंतर मंतर, चांदनी चौक, कनॉट प्लेस की तरह यह भी दिल्ली की पहचान का पुराना और अहम हिस्सा है। उसकी पुरानी रवायत का एक बदनाम सफा जिसके बारे में जानते तो […]



रात्रि: अम्बर्तो इको

कथा / Fiction

जिसमें, यह शीर्षक जिन विलक्षण रहस्योद्घाटनों के बारे में बताता है, अगर उनका संक्षेप किया जाय, तो यह शीर्षक, चलन के विपरीत, उतना ही लम्बा होगा जितना कि यह अध्याय है। हमने अपने आपको फफूँदियाई पुस्तकों जैसी गंध से भरे एक ऐसे कक्ष की देहलीज पर खड़े पाया जो अपने आकार-प्रकार में अन्य तीनों सप्तभुजीय […]



I Don’t Want A Silent Death: Varun Interviews Piyush Mishra

लोक-प्रिय / Lok-Priya

Things have a way of falling into place. Mihir Pandya, my friend and a scholar at DU, wanted a guest-post on his blog (www.mihirpandya.com), I had been living in the constant hum and pound of Gulaal’s soundtrack for more than two weeks, and Piyush Mishra happened to magically appear in front of me at Prithvi […]



देवदास: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय

लोक-प्रिय / Lok-Priya

वैशाख की तपती दुपहरी। स्कूल की कोठरी में फटी हुई शीतलपाटी पर बैठा देवदास ऊँघ रहा था। बार-बार जम्हुआई लेते हुए वह आखिरकार इस नतीजे तक पहुँचा कि इस छोटी-सी कोठरी में घुटते रहने से कहीं बेहतर है बाहर खुले आसमान में पतंग उड़ायी जाए। और फिर जैसे ही वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा, उसे […]



सावन आये या न आये: भूतनाथ

लोक-प्रिय / Lok-Priya

(रफी, शकील, और नौशाद की स्मृति में) काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हर साल की ही तरह चहल पहल थी. नया सत्र शुरू हो रहा था. नए लड़के लड़कियाँ इतने बड़े कैम्पस में आ कर चकित पुलकित से इधर-उधर देख रहे थे, जैसे फूटे अण्डों से निकले नन्ही चिड़ियाँ के नए बच्चे. पुराने विद्यार्थी, प्रोफेसर, हॉस्टल […]



The Fragrance of Delgadina’s Soul: Teji Grover

कथेतर / Non-Fiction

Reading Memories of My Melancholy Whores by Gabriel Garcia Marquez Make visible what, without you, might perhaps never have been seen. –– Robert Bresson Once he made you see a storm of small yellow butterflies, then he made you see ice, mirror, and guava, it was he who made you see another facet of solitude, […]



मैं देवदास मुकर्जी बनना चाहता हूँ: गिरिराज किराड़ू

कथेतर / Non-Fiction

1 बहुत कम ‘आधुनिक’ किताबों की नियति वैसी रही है जैसी कि देवदास की – एक अप्रत्याशित मिथकीयता से घिर जाने की नियति. इसके प्रकाशन के पूर्व शायद ही कोई यह कल्पना कर सकता था कि यह कृति एक पुस्तक से अधिक एक मिथक हो जायेगी. और इसमें शायद ही किसी को कोई संदेह हो […]