आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

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‘आठ और आधा’ के बहाने फ़ेल्‍लीनी पर कुछ फुटकर नोट्स: प्रमोद सिंह

कथेतर / Non-Fiction

कभी बात निकलती है तो मन में सवाल उठता ही है कि आख़ि‍र ऐसा क्‍या है फ़ेदेरिको फ़ेल्‍लीनी की फ़ि‍ल्‍मों में? ख़ास तौर पर उनकी अपनी इज़ाद विशिष्‍ट शैली के रचनात्‍मक चरम ओत्‍तो ए मेत्‍ज़ो में? बुनावट के वे क्‍या तत्‍व हैं आखिर कि उसे देखते हुए मन सिनेमा व उसकी सामाजिकता के ‘डेट’ व […]



Fearless: Uddipana Goswami

कविता / Poetry

I will walk down the streets of my city without fear I will not be slapped like my cousin Because he walked on the pavement Where ‘Black Cat’ commandos Brandished machine guns behind sand bags Securing us against insurgents. He was only sixteen. I will not be interviewed on television Lying half naked, faint, prodded […]



Poet of the Flaming Sutlej – Lal Singh Dil (1943-2007): Nirupama Dutt

कथेतर / Non-Fiction

How is one to remember Lal Singh Dil? The literary status of Dil in the world of Punjabi literature was never disputed, and he is often described as a poets’ poet. Punjabi poet Surjit Patar says, “He will be counted as one of the top Punjabi poets of the twentieth century.” However, there was more […]



जख़्मों के रास्ते से: देसराज काली

कथा / Fiction

मैं धृतराष्ट्र नहीं, बस यूँ ही अंधा होने का ढोंग रचा रहा हूँ. संजय एक कोने में बैठा मन कुरुक्षेत्र का दृश्य देख रहा है. परंतु वह कुछ भी नहीं बोल रहा… या मैंने उसको चुप रहने की हिदायत दे रखी है. यह दृश्य मैं नहीं सुन सकता…. संजय के मन की आंखें देख सकती […]



उधर के लोगों की यात्राएँ: अजय नावरिया

कथेतर / Non-Fiction

अपने बीते हुए दिनों के किन्हीं अहम अनुभवों को याद करना बिलकुल इस तरह है कि कोई किसी ऐसी रेलगाड़ी में बैठ जाए जो वक्त की दिशा से विपरीत चलती जाए. यह रेलगाड़ी एक्सप्रेस या सुपरफास्ट तो बिलकुल नहीं होनी चाहिए; यह पैसेंजर होनी चाहिए या फिर सबसे सुधीर ब्रांच लाईन की गाडी.मुझे याद आती […]



मेरी भाषा में तुम शामिल हो: ओम प्रकाश वाल्मीकि

कविता / Poetry

पहाड़ पहाड़ खड़ा है स्थिर सिर उठाये जिसे देखता हूँ हर रोज आत्मीयता से बारिश में नहाया या फिर सर्द रातों की रिमझिम के बाद बर्फ से ढका पहाड़ सुकून देता है लेकिन जब पहाड़ थरथराता है मेरे भीतर भी जैसे बिखरने लगता है न खत्म होने वाली आड़ी-तिरछी ऊँची-नीची पगडंडियों का सिलसिला गहरी खाईयों […]



बदला बहरूपिया: अजय नावरिया

कथा / Fiction

1 ‘गुनाह बहुत लुभावना होता है और बदला बहुत बहरूपिया…’ फादर की आवाज़ आ रही थी … डूबती …. टूटती …. जैसे पहाड़ी नदी में लट्ठे बहते आते हैं …. ‘पटेल के सन से झगड़ा नहीं करना है’ वह लभगभ चीख़ी थी, उसकी आँखों में मनचाहा पाने का आश्चर्य था. यू आर रियली ए डेविल. […]



मेरे नॉवेल और पंजाब का दलित साहित्य: देसराज काली

कथेतर / Non-Fiction

पंजाब के दलित साहित्य या अपने नॉवेलों पर बात करने से पहले मैं कुछ उन पहलुओं पर बात करना चाहता हूँ, जो पंजाब के दलित साहित्य को अलग दर्शाते हैं। मेरा मानना यह भी है कि किसी इलाके के इतिहास को जाने बगैर आप वहाँ के साहित्य की किसी भी धारा को समझ नहीं सकते। […]



These Songs Do Not Die: Lal Singh Dil

कविता / Poetry

Dance When the laborer woman Roasts her heart on the tawa The moon laughs from behind the tree The father amuses the younger one Making music with bowl and plate The older one tinkles the bells Tied to his waist And he dances These songs do not die nor either the dance in the heart […]



सब अनर्थ है कहा अर्थ नेः रमेशचंद्र शाह

कविता / Poetry

6 Hindi poems by Ramesh Chandra Shah.

रमेशचंद्र शाह की छह हिंदी कविताएँ.