‘आठ और आधा’ के बहाने फ़ेल्लीनी पर कुछ फुटकर नोट्स: प्रमोद सिंह
कथेतर / Non-Fictionकभी बात निकलती है तो मन में सवाल उठता ही है कि आख़िर ऐसा क्या है फ़ेदेरिको फ़ेल्लीनी की फ़िल्मों में? ख़ास तौर पर उनकी अपनी इज़ाद विशिष्ट शैली के रचनात्मक चरम ओत्तो ए मेत्ज़ो में? बुनावट के वे क्या तत्व हैं आखिर कि उसे देखते हुए मन सिनेमा व उसकी सामाजिकता के ‘डेट’ व […]