शिवमूर्ति-संगत: प्रभात रंजन
कथेतर / Non-Fictionप्रभात अभी हाल में नया ज्ञानोदय में आपका उपन्यास आखिरी छलांग प्रकाशित हुआ. उसको पढ़ते हुए लगता है जैसे गांव का जो स्वप्न है वह टूट गया है. पूंजीवादी यथार्थ के सामने उसने सरेंडर कर दिया है. आज गांव का एक खाता-पीता किसान भी खेती के बूते अपने बच्चों को चाहे भी तो बेहतर शिक्षा […]