आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

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एक था गाँव: वरूण

कथेतर / Non-Fiction

हमारे देश में टीवी मेरे जन्म से बहुत पहले आया. हमारे घर में मेरे पैदा होने के ७ साल बाद. टीवी पर गाँव मैंने शायद टीवी आने के पहले दिन ही देख लिया (कृषि दर्शन मेरा पसंदीदा कार्यक्रम था, क्यूंकि इसमें आउट डोर बहुत दिखता था). असल ज़िंदगी में सचमुच** का गाँव अभी देखा है […]



किसी दूसरे कालखंड में: मिहिर पंड्या

कथेतर / Non-Fiction

“इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है” (1) “छोटे-छोटे शहरों से खाली बोर दुपहरों से हम तो झोला उठाके चले बारिश कम-कम लगती है नदिया मद्धम लगती है हम समन्दर के अन्दर चले हम चले, हम चले, ओये रामचंद रे…” – गुलज़ार. ’बंटी और बबली’, 2005 (2) फ़िल्म में भी उनका नाम ’बंटी’ […]



To Be Fortunate: Rustam (Singh)

कथेतर / Non-Fiction

To be fortunate means to be able to think, to be able to receive thought, to be able to respond to it from the very centre of one’s being, and to be able to do all of this despite the twists in one’s fortune.[1] However, there is a kind of thinking, a kind of ability […]



जहाँ मीठा पानी एक सपना हैः गीताश्री

कथेतर / Non-Fiction

अनादि राय दरार पड़े खेत की तरफ फटी फटी आंखों से देख रहा है. वहाँ से उसकी निगाहें खारे पानी के तालाब की तरफ जाती है और उसकी आंख में तालाब का खारा पानी भर जाता है. डूबते द्वीप के साथ उसका दिल भी डूब रहा है. ना फटी जमीन का कोई रफूगर है ना […]



रामपाली: प्रभात

कथेतर / Non-Fiction

राजस्थान के अजमेर जिले में, केकड़ी तहसील हैडक्वाटर से, छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गाँव-रामपाली. केकड़ी से रामपाली आते हुए सड़क के दोनों ओर जहाँ तक निगाह पहुंच रही थी, सूखे काले खेतों के सिवा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था. कहीं-कहीं जूली-फ्लोरा की झाड़ियां जरूर दिखाईं दी. ये झाड़ियां चूल्हे के […]



कार्तिक की कहानी: पीयूष दईया

कथेतर / Non-Fiction

अनुपम मिश्र व संतोष पासी के लिए पहाड़ों के घेरे में एक छोटा-सा गाँव था. गाँव में लुभावने सीढ़ीनुमा खेतों के छोरों पर एक छोटे दरवाजे व दो छोटी खिड़कियों वाला एक सुंदर व मजबूत घर था. पहाड़ी ढलान के ऊपरी हिस्से से इसमें सीधे, बिना सीढ़ी के दूसरे मंज़िल में प्रवेश होता था और ढलान […]



लमही वतन है: व्योमेश शुक्ल

कथेतर / Non-Fiction

१ लमही वतन है। दूसरी जगहें गाँव घर मुहल्ला गली शहर या जन्मस्थल होती हैं, लमही वतन हो जाती है और लेखक को अपने वतन लौटते रहना चाहिये। लेखक को दूसरे लेखकों के वतन भी लौटना चाहिए। जाँच-परख या टीका-टिप्पणी करने नहीं, रहने के लिए। जितनी देर तक वहाँ ठहरिये, रह जाइये। वतन जाकर रहने […]



When They ‘Tamed’ the Kosi: Deepika Arwind

कथेतर / Non-Fiction

IN PATNA, AND SOON OUT OF IT… We arrive in Patna by the afternoon of March 8. The only news streaming out of the television is of the Women’s Reservation Bill. Lalu Prasad Yadav and Mulayam Singh Yadav are protesting the bill vociferously somewhere in this city, threatening to pull out of the UPA coalition […]



‘World Class’: Annie Zaidi

कथेतर / Non-Fiction

There are times when I wonder if the point of travel is not to broaden one’s horizons as much as narrow them down. Not to teach us to embrace all differences, but to observe the gulf between us and them and to burn with the contrast. Narrow dusty roads and endless azure umbrellas of unstable […]



मृत्यु-भोज: मक्खन मान

कथा / Fiction

जैला पूरी तरह टुन्न हो चुका था. नाजर सिंह ने एक और तगड़ा-सा पैग भरा और जैला की ओर बढ़ाते हुए बोला, ‘लो बड़े भाई.’ वह बड़ी मुश्किल से गिलास मुँह तक ले गया. घूंट मारते ही वह एक और को लुढक़ गया. ‘लो यह तो गया! जाओ ड्राईवर को बुला लाओ.’ नाजर सिंह ने […]